Saturday, December 7, 2024

हिटो (चलो) पहाड़

चलो अब लौट चलते हैं,                       अपनी पुरानी राहों में,
 पहाड़ों के दिल से उठी चीत्कार, लौट आओ तुम मेरी सूनी बाहों में,
 चलो दोस्तों फिर हिटो (चलो) पहाड़.
 हमें बुलाये पहाड़ का पानी,
 ठंडी ठंडी सर्द जवानी,
 मीठे-मीठे गीतों की रवानी,
 भरके अपनी आंखों में,नम पानी,
 चलो दोस्तों फिर हिटो (चलो )पहाड़.
 मंदिरों की घंटियां भी,रही हमें पुकार,
 पितरों के थान भी,कर रहे सीत्कार,
 ईष्ट देवों का नाम लेने,फिर चले आओ एक बार,
 पवित्र यह देवभूमि,जो बुलाए हमें बारम्बार,
 चलो दोस्तों फिर हिटो (चलो) पहाड़.
 नौलों का पानी मचल-मचल,
 गगरी में भरने को है बेताब,
 कब पियोगे मुझे ? कब भरोगे मुझे ?
 कोई तो दे दो, इन्हें जवाब,
 चलो दोस्तों फिर हिटो (चलो )पहाड़.
 खेतों और जंगलों का, फर्क मिट गया,
 इंसानों को छोड़,जंगली जानवर यहां पनप गया,
 पूर्वजों ने जोता था, जो खेत, आज वो बंजर हो गया,
 फलों के पेड़ पूछे, मुझे तोड़कर खाने वाला, आज कहाँ खो गया ?
 चलो दोस्तों फिर हिटो (चलो) पहाड़.
 इनके( पहाड़ों के) दुख,दर्द,वेदना,को हमें ही समझना होगा,
 क्या कहना चाहते हैं ये, हमें ही सुनना होगा,
 इनके दिल से आई है यह आवाज,
 बच्चों का बचपन,यहाँ फिर से लौटाना,
 मेरी मिट्टी में इन्हें खिलाना,
 मेरे पेड़ों पर झूला-झूलाना,
 ग्वाले भेजना, शैतानियां करवाना,
 छुप-छुप के मेरी ककड़िया भी चुरवाना,
 मेरी बंजर भूमि पर, हरियाली का हल चलाना,
 खूब मेहनत करना,और अपना पसीना बहाना,
 मेरे(पहाड़ के) दिल में, दर्द बहुत है
 तुम आकर,मेरे घाव भर जाना 
 तुम आना, तुम जरूर-जरूर आना,
 चलो दोस्तों फिर हिटो (चलो )पहाड़ I






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