हमारी दुनिया के समानांतर इनकी भी अपनी दुनिया होती है।इनकी नकारात्मक शक्तियांँ इतनी प्रभावशाली होती हैं, कि वह किसी भी जीते-जागते इंसान का जीवन,नर्क बना देती है।
जो इंसान अपने दिल में नकारात्मकता लेकर मरता है,या किसी इंसान के जीवन में उसके साथ कुछ गलत या अन्याय हुआ हो,तो ऐसे मनुष्य मृत्यु के वक्त अपना चित्त शांत नहीं रख पाते। एक कांटा या रोष उनके दिल में रह जाता है। परिणाम स्वरुप मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष नहीं मिल पाता और उनकी आत्मा भटकती रहती है। यह भटकाव सदियों का रूप ले लेता है। इस दौरान कितनी पीढ़ियांँ निकल जाती हैं। सब कुछ बदल जाता है, पर नहीं बदलता तो इन आत्माओं का प्रतिशोध।
ये आत्मायें गाड़ (नदियों ),गढ़ेरों,तालाबों, पोखरो,जंगलों और वीरानों में भटकती रहती हैं। जहांँ इन्हें किसी इंसान से बदला लेना होता है,तो यह इन जगहों से,"छल "का रूप लेकर, किसी इंसान के घर में,उसके अंदर जगह बना लेते हैं। उसके बाद फिर वो उस इंसान को कष्ट देना शुरू कर देते हैं।
आज की यह कहानी भी कुछ इसी तरह की है। इस कहानी का मकसद भूत-प्रेत, अंधविश्वास या नकारात्मकता को बढ़ावा देना नहीं है। परंतु इंसान यदि सतर्क रहे तो इन चीजों को समझ सकता है,और इनसे बच सकता है। इस कहानी में भी एक खुशहाल परिवार था। इसमें पति-पत्नी वह उनके दो बच्चों के अलावा उनका पूरा संयुक्त परिवार था। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। पर कुछ महीनों से आखिर उस आदमी की औरत(पत्नी ),रात को नींद में रोने लगती थी।
उसका यह रोना बढ़ता ही जा रहा था।
आखिर क्या हुआ था उसके साथ,जो रात को वह जोर-जोर से रोने लग जाती थी!
क्या उसका रोना केवल रात में होता था?
और बाद में उसे कुछ याद क्यों नहीं रहता था?
और एक दिन कुछ ऐसा हुआ था कि पूरा परिवार डर के मारे घबरा गया, आखिर क्या हुआ था उस रात?
यह हम कहानी की दूसरे भाग में पढ़ेंगे.....