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Tuesday, November 19, 2024

अध्यात्म

अध्यात्म क्या होता है? क्या इससे मनुष्य जीवन प्रभावित होता है?
 क्या अध्यात्म ईश्वर से जुड़ा हुआ है?
 स्वयं अपने आप को जानना ही अध्यात्म कहलाता हैI अध्यात्म दो शब्दों "अध्य"और "आत्म"से मिलकर बना हैI अध्य मतलब "चारों ओर " और आत्म मतलब "स्वयं " होता हैI मतलब जब इंसान अपने चारों तरफ से स्वयं को( आत्मबोध ), जाननें लगता है, उसे आध्यात्म कहते हैं I
 अध्यात्म का सीधा संबंध हमारी आत्मा से होता है I हर आत्मा का परमात्मा में विलय होता ही है,क्योंकि हर जीव,हर आत्मा, उस  परमात्मा से ही निकलती हैI हर जीव को जीवन ईश्वर की देन हैI परमात्मा में आत्मा का मिलन ही अध्यात्म कहलाता है I अध्यात्म ईश्वरीय चिंतन है, ईश्वरीय मनन है, भौगोलिक सुखों को छोड़ पारलौकिक भक्ति में रम जाना ही अध्यात्म है I
 अवचेतन मन को जगा कर निराकार ईश्वरीय भक्ति,व शक्ति से,जुड़ने का नाम ही अध्यात्म है I अध्यात्म हमारे सनातन धर्म में एक विद्या है, चिंतन-मनन है, हमारे ऋषि,मुनियों, सन्यासियों की तपस्या का सार है.
 जन्म-मृत्यु,पुनर्जन्म,आत्मा -परमात्मा,जैसी ना जाने कितनी गुत्थियों को सुलझाने का नाम है अध्यात्म I हम मनुष्य अपने जीवन काल में हर क्षणिक व भौगोलिक सुख के लिए भागते रहते हैं, एक चीज की पूर्ति होने पर दूसरी चीज के लिए इच्छा पैदा हो जाती है. यह इच्छा और पूर्ति जीवन भर चलती रहती है. और जब तक हमें अपने असली सुख और खुशी का अनुभव होता है,तब तक काफी देर हो चुकी होती है Iतब तक हमारा अंत समय नजदीक आ चुका होता है. उस  वक्त हम इन भौगोलिक चीजों को छोड़कर उस परमपिता परमेश्वर को ढूंढते हैं, उस वक्त मनुष्य कुछ नहीं कर सकता है.
 अतः समय रहते यदि हम उसे परमपिता परमेश्वर को समझ जाए,उनको पहचान जाए, उनकी ईश्वरीय वंदना में लील होकर, आत्मा और परमात्मा को जान ले तो सबको परम आनंद की प्राप्ति होगी.
 अध्यात्म इस मार्ग में हमारी काफी सहायता करेगा I योग,ध्यान, भक्ति और अध्यात्म से ही परमात्मा और आत्मा की अनुभूति की जा सकती है I सत्य और सनातन ही अध्यात्म है.

लेखक और पाठक

लेखक और पाठक  निरंतर लिखना भी एक चुनौती है। नित नूतन विचारों को पैदा करना, उन विचारों को शब्दों में पिरोना, फिर उन शब्दों को कवि...