हमारे शरीर में सबसे प्रमुख तीन नाडियाँ होती हैं ."ईडा नाड़ी", "पिंगला नाड़ी" और "सुषुम्ना नाड़ी"। इन तीनो नाड़ियों की शुरुआत एक मूलाधार चक्र से होती है ,जिसे हम योग के द्वारा महमूस कर सकते हैं.जब अपने बाएं नाक से श्वास लेते हैं या हमारी बायीं नाक जागृत होती है,तो इसको ईडा नाड़ी कहते हैं. ईडा नाडी,चंद्र नाड़ी होती है। ईडा नाड़ी का संबंध चंद्रमा से होता है.इसी प्रकार जब हम अपने दाई नाक से सांस लेते हैं या हमारा दiया नाक चल रहा होता है तो इसे पिंगला नाड़ी कहते हैं। पिंगला नाड़ी का संबंध सूर्य से होता है ,इसे सूर्य नाड़ी भी कहते हैं।
इड़ा नाड़ी और पिंगला नाड़ी के मध्य,जो नाड़ी चलती है उसे सुसुन्ना नाड़ी कहते हैं। अर्थात एक नाक से दूसरे नाक तक श्वास लेने और छोड़ने के मध्य जो अंतराल होता है,उस समय सुषुम्ना नाड़ी जागृत होती है.
हमारे महान आयुर्वेद में नाड़ियों का बहुत महत्व होता है .हम अलग-अलग योगासनों का उपयोग अपनी नाड़ियों को सक्रिय सकते हैं,तथा अपना मन, अपना मस्तिष्क, अपना शरीर निरोगी रख सकते हैं।