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Monday, December 9, 2024

हँंसने की कला

हमें अपने जीवन में हंँसने की कला सीखना, बहुत जरूरी है. आजकल की इस भागम-भाग,व मारामारी वाली जिंदगी में, व्यक्ति के पास वक्त का बहुत अभाव है. व्यक्ति के पास सुख,साधन,संपन्नता की सभी वस्तुएं होने के बावजूद,उसके जीवन में एक तनाव सा बना रहता है. सब कुछ होते हुए भी वह खुश नहीं है, इसकी सबसे बड़ी मुख्य वजह है कि आज इंसान,हंँसना भूल चुका है. हंँसने के लिए आज व्यक्ति के पास, वक्त ही नहीं है. ऐसे में अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए,हंँसने की कला सिखना,बहुत जरूरी है.
 यह हमारे स्वस्थ,व अच्छी जीवन शैली से भी, जुड़ा हुआ है.
 हंँसने की कला के अनेकों फायदे हैं. हंँसने की कला,स्वयं से, समाज से, तथा विज्ञान से भी जुड़ी हुई है. इसका सभी पर सकारात्मक असर ही पड़ता है.
 हमारी हंँसी को, " सौ मर्जों की एक दवा", बताया गया है, हंँसने से हमारे,दिल व फेफड़े  मजबूत बनते हैं, उनकी अच्छी खासी कसरत हो जाती है. हंँसने से हमारे शरीर में, अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है. मतलब दिल खोल के हंँसने से हमारा फैट भी कंट्रोल रहता है.
 हंँसने से हमारे शरीर में,अच्छे हार्मोन बढ़ते हैं, रक्त संचार,सुचारू रूप से होता है. हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. मतलब दिल खोलकर हंँसने से, हम कई बीमारियों से भी बचे रह सकते हैं.
 इसलिए हमें खुश रहने,व हंँसने के लिए,नये-नये बहाने ढूंढते रहना चाहिए. अब तो अपने जीवन में तनाव कम करने के लिए, जगह-जगह पर, "लाफिंग क्लास "भी होती है. जिससे हमारे जीवन में तनाव कम हो,व हमारा जीवन आरामदायक, वह सरल बने.
 सबसे बढ़िया तब होता है,जब कोई इंसान अपने आप पर हंँसना सीख जाता है. वास्तव में यह कठिन कार्य भी है, परंतु इसके बाद व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत बन जाता है, तथा अपने जीवन की कितनी परेशानियों से बाहर निकल सकता है.
 इसलिए हमें अपने जीवन में एक अच्छी आदत खुश रहना, तथा दूसरों को हंँसने -हंँसाने की डालनी चाहिए. खुद भी हंँसो और दूसरों को भी हंँसाओ, जीवन इसी का नाम है.

लेखक और पाठक

लेखक और पाठक  निरंतर लिखना भी एक चुनौती है। नित नूतन विचारों को पैदा करना, उन विचारों को शब्दों में पिरोना, फिर उन शब्दों को कवि...