तू प्राण है,तू है विहंग,
सब वेदों का सार तुम्हीं हो,
गंगा की पावन धार तुम्हीं हो,
हे मातृशक्ति तुझे कोटि-कोटि नमन.
"वेदो" और "पुराणो"का,ज्ञान तुम्हीं हो,
नवचेतन संसार का आधार,तुम्हीं हो,
महादेव की आदिशक्ति हो तुम, गति और प्रकाश भी तुम्हीं हो,
हे मातृशक्ति तुझे कोटि-कोटि नमन.
समस्त सृष्टि की रचयिता हो तुम,
अनेक रूपों में कण-कण में व्याप्त हो तुम,
ऊर्जा और विज्ञान हो तुम, दिशा और आसमान हो तुम,
हे मातृशक्ति तुझे कोटि-कोटि नमन.
ईश्वर को भी इस जगत में पड़ी जरूरत मातृशक्ति की,
कैसा वह दर्शनीय दृश्य हे देवी, जब सब देवों ने तुम्हारी भक्ति की,
ईश्वर भी झुके,शीश झुका कर,तेरे पावन चरणों में,
दिए उन्हें ढेरों वरदान, तुमने अपने वर्णों में,
हे मातृ शक्ति तुझे कोटि-कोटि नमन.
सिर पर हमारे,हमेशा बनाए रखना,हे माँ अपनी छाया,
एक तू सच्ची माँ,बाकी सब झूठी मोह-माया,
सद् मार्ग पर चलते रहे हम,है बस इतनी आस, हे माँ,
बुराइयों से दूर रहे हम, रखना अपने दिल के पास, हे माँ I
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः I