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Tuesday, December 10, 2024

टेक्नोलॉजी

टेक्नोलॉजी का अर्थ होता है, कि विज्ञान, आधुनिक तकनीक, उपलब्ध संसाधनों द्वारा उत्पादों का निर्माण व विकास करना. टेक्नोलॉजी हर समय विशेष पर,बदलती रहती है, क्योंकि विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं. आधुनिक से आधुनिकतम तकनीकों के द्वारा, टेक्नोलॉजी में परिवर्तन होता रहता है. जिस देश की टेक्नोलॉजी जितनी आधुनिक होगी,वह देश उतना ही प्रगतिशील होगा.
 टेक्नोलॉजी में कला,साहित्य,विज्ञान,गणित, इत्यादि,सभी कुछ समाहित होता है. टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र विशेष के साथ जुड़ी होती है, जैसे कि ऑटोमोबाइल,कंप्यूटर,नैनो- चिप,अंतरिक्ष,डिफेंस,बायोटेक्नोलॉजी, इत्यादि.वह क्षेत्र उतना ही आगे बढ़ता चला जाता है जिसकी तकनीक(टेक्नोलॉजी), समय के साथ,बदलती और सुधरती जाती है.
 आधुनिक टेक्नोलॉजी के द्वारा मानव का जीवन,काफी सरल,व आसान,हो गया है.
 उदाहरण के लिए इंटरनेट सेवा की आधुनिक टेक्नोलॉजी आने के बाद,पूरा विश्व जैसे एक मुट्ठी में आ गया हो. विश्व के विकसित देश, 6g,7g टेक्नोलॉजी, पर कार्य कर रहे हैं. संचार माध्यम के द्वारा पूरा विश्व,एक दूसरे के नजदीक आ गया है. विश्व के किसी कोने में, अगर कोई घटना घटित होती है, तो सेंकड़ो में वह वायरल होकर,घर-घर तक पहुंच जाती है.
 टेक्नोलॉजी ने मानव विकास को काफी आसान बना दिया है.
 परंतु जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी के,अनेकों फायदे हैं,तो उसके नकारात्मक प्रभाव भी काफी है. अक्सर हम टेक्नोलॉजी को,और आधुनिकतम बनाने के चक्कर में,प्रकृति से बेवजह छेड़छाड़ कर बैठते हैं, यह कदम बड़ा नुकसानदायक होता है. इसकी वजह से प्रदूषण बढ़ना,क्लाइमेट चेंज होना,गंभीर बीमारियों का पैदा होना, तथा फैलना, ओजोन परत का पतला,व उसमें छेद होना, जैसे गंभीर प्रभाव पड़ते हैं. यह समस्त जीवों, (मानव सहित),के लिए, काफ़ी घातक,व हानिकारक होता है. इनसे भूगर्भीय हलचलें तेज होने के साथ-साथ,अनेकों तूफान,व भूकंप इत्यादि भी आते हैं.
 अंतत हमें, प्रकृति के साथ मिलकर चलना पड़ेगा, हमें अपनी तकनीकों को, विकसित करने के साथ-साथ प्रकृति का ध्यान भी रखना पड़ेगा. उन्नत टेक्नोलॉजी के साथ, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ना हो, पर क्या ऐसा संभव है? इस सवाल का जवाब समस्त मानव जाति को, मिलकर खोजना पड़ेगा,और इसका समाधान करना पड़ेगा.


लेखक और पाठक

लेखक और पाठक  निरंतर लिखना भी एक चुनौती है। नित नूतन विचारों को पैदा करना, उन विचारों को शब्दों में पिरोना, फिर उन शब्दों को कवि...