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Wednesday, November 27, 2024

एटीट्यूड (नजरिया )

हम अपने रोजमर्रा की जीवन में अनेकों काम करते हैं. जिसे हमारा जीवन-क्रम व्यस्त रहता है. जैसे बच्चों का स्कूल जाना, वयस्कों का नौकरी,या अपने व्यवसाय के लिए जाना, और ग्रहणियों का घर पर अपने रोजमर्रा के कार्यों को करना, इत्यादि I हर व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता,और उसका तरीका अलग-अलग होता है. कोई सक्षम व्यक्ति,किसी कार्य को, "अच्छे "और "बेहतर "तरीके से कर सकता है, बजाय किसी नए और "अक्षम" व्यक्ति के. किसी भी व्यक्ति का,किसी भी कार्य के लिए,मनोभाव,रवैया या,स्वभाव कैसा है, इसे ही उसका एटीट्यूट कहते हैं I
 दक्षता आने पर किसी भी कार्य में, उस व्यक्ति का नजरिया तय होता है. अर्थात कोई भी व्यक्ति जब अपने-अपने प्रफेशन या फील्ड में सक्षम, और दक्ष हो जाता है तो उसका उस कार्य को करने का जो तरीका होता है, उससे ही उसका नजरिया या "एटीट्यूड" तय होता है. दक्षता को प्राप्त करने के लिए मनुष्य अपना 100% उस काम को देता है. नतीजा उसके लिए अच्छा ही होता है. एटीट्यूड किसी भी व्यक्ति को अपने काम में परफेक्ट या दक्ष करता है. एटीट्यूड से हम किसी भी कार्य को अच्छी तरीके से कर सकते हैं I
 आमतौर आमतौर पर लोग,"एटीट्यूड" और, "घमंड", को एक साथ जोड़कर देखते हैं, वे इन दोनों चीजों को एक ही समझ बैठते हैं, जबकि यह बात एकदम गलत है. एटीट्यूड, (नजरिये),और घमंड( ईगो ),में फर्क होता है.
 जहां एटीट्यूड हमें किसी भी कार्य में दक्ष, या परफेक्ट बनाता है, तो घमंड व्यक्ति में अति आत्मविश्वास को पैदा करता है. किसी भी कार्य को करने का विश्वास अच्छा होता है, परंतु उसे कार्य को करने में अति आत्मविश्वास अच्छा नहीं होता.
 किसी भी कार्य को" मैं कर सकता हूं "यह उस व्यक्ति का विश्वास होता है, परंतु इस कार्य को," केवल मैं कर सकता हूं ",यह उस व्यक्ति का अति आत्मविश्वास है. अति आत्मविश्वास से बना हुआ कार्य भी खराब हो सकता है.
 एटीट्यूड व्यक्ति में एक सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करता है.व्यक्ति में वह गुण पैदा होता है कि,वह हर चीज को एक अलग नजरिए से देख सके. सैकड़ो की भीड़ में एटीट्यूड वाला व्यक्ति,अपनी अलग ही पहचान बनाता है.
 ऐसे व्यक्ति किसी के पीछे रहने,या किसी के पीछे चलने से परहेज करते हैं, ये अपना नया रास्ता खुद बनाते हैं,तथा अपनी मंजिल खुद तय करते हैं.
 "मेरे साथ पीछे सौ लोग हैं", इसके बजाय उन सौ लोगों को ऐसा लगे कि,"मैं उनके साथ खड़ा हूँ",यह एटीट्यूड कहलाता है. सकारात्मक एटीट्यूड से बड़े से बड़ा काम भी संभव है.
 हम सब में भी,थोड़ा बहुत एटीट्यूड होना ही चाहिए. यह सकारात्मक और बेहतर दृष्टिकोण वाला होना चाहिए. सकारात्मक एटीट्यूड वाले व्यक्ति, विश्व पटल पर भी अपना प्रभाव छोड़ते हैं. विश्व के बड़े-बड़े,"मास-लीडरों ",में भी यह साफ झलकता है, उनके चलने -फिरने, उठने -बैठने से लेकर, उनके कार्यों,उनकी जीवन शैली में यह साफ दिखता है. एक अच्छे और स्वस्थ समाज के लिए, सकारात्मक दृष्टिकोण वाला, संगठित एटीट्यूड होना चाहिए. इससे व्यक्ति बड़ी से बड़ी कामयाबी को, आसानी से हासिल कर सकता है I

लेखक और पाठक

लेखक और पाठक  निरंतर लिखना भी एक चुनौती है। नित नूतन विचारों को पैदा करना, उन विचारों को शब्दों में पिरोना, फिर उन शब्दों को कवि...