Wednesday, December 11, 2024

"अपने में - अपने आप की तलाश"

दिल में उठ रहे जज्बातों को,समेटने
के लिए,
  भीतर बहने वाले ज्वालामुखी को, शांत करने के लिए,
 एकांत में,एकांत को ढूंढने के लिए,
 बंजर जमीनों में,नई फसल उगाने के लिए,
 करी है क्या कभी खुद से बातें?               अपने में, अपने आप को तलाशने के लिए I
 अंधेरे को मिटाने वाले उजाले के लिए,
 अमावस की रात में, भोर के तारे के लिए,
 पतझड़ में उस,नवजीवित पौधे के लिए,
 सूखे हुए पुष्पों में,उस गुलाब की सुगंध के लिए,
 करी है क्या कभी खुद से बातें?
 अपने में, अपने आप को तलाशने के लिए I
 तनाव,अवसाद के पहाड़ को गलाने के लिए,
 जलती हुई गर्मी में, एक सुखद छांव के लिए,
 मरुभूमि में तप रहे पथिक को, पानी की हर एक बूंद के लिए,
 दुख रूपी धुंध की चादर को, हटाने के लिए,
 मनोबल के वेग को बढ़ाने के लिए,
 हार के भय को,जीत बनाने के लिए,
 करी है क्या कभी खुद से बातें?
 अपने में, अपने आप को तलाशने के लिए I
 आग में जलकर,खुद को कुंदन बनाने के लिए,
 अपनी नींद को छोड़,दूसरों को जगाने के लिए,
 स्वयं विषपान कर ,दूसरों को अमृत देने के लिए,
 गिरे आत्म बल को, लौह स्तंभ बनाने के लिए,
 आत्मा में उस" परमपिता परमात्मा "को मिलाने के लिए,
 करी है क्या कभी खुद से बातें?
 अपने में, अपने आप को तलाशने के लिए I

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लेखक और पाठक

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