Wednesday, November 20, 2024

विश्व गुरु -भारतवर्ष

हमारे महान देश भारत को किसी समय विश्व गुरु की उपाधि प्राप्त थी. विश्वगुरु का अर्थ होता है,जो समस्त विश्व को अपने ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशमान करें. भारतवर्ष ने पूरे विश्व को सबसे पहले सभ्यता का ज्ञान दिया था. हमारा ज्ञान, विज्ञान,पुराण,अर्थशास्त्र, इतिहास,कला,संगीत,साहित्य,इत्यादि इतने प्रभावशाली थे, कि हमने समस्त विश्व को एक अलग और उच्च स्तरीय मार्ग दिखलाया. अलग-अलग कालखंडो में, हमने पूरे विश्व में अपना परचम लहराया है.
 हमारी सभ्यता और संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन है. प्राचीनता के साथ हमारी सभ्यता और संस्कृति सबसे समृद्ध थी. "सिंधु घाटी सभ्यता "हमारी सबसे प्राचीन सभ्यता थी.
 इस सभ्यता के मिले अवशेषों से,पता चलता है कि, हम विश्व के अन्य देशों से कितना आगे थे. जहां विश्व में अन्य सभ्यताओं के लोग बिना वस्त्रो के,तथा शिकार पर जीवित रहते थे, वही हमारे महान "सिंधु घाटी सभ्यता" के लोग खेती करके अलग-अलग,अनाज पैदा करते थे.इनके अनाजों में प्रमुख रूप से गेहूं, चावल, कपास,जौ,तिल इत्यादि थे. यह अपने घरों का निर्माण पत्थरों से किया करते थे. पीतल और तांबे के औजार,और बर्तन बनाते थे. गाय,भैंसे व अन्य मवेशी पालते थे. हमारी प्राचीन सभ्यता अन्य सभ्यताओं से काफी उन्नत थी.
 भारत में गुरुकुलों का प्राचीन व महानतम इतिहास रहा है. इन गुरुकुलों में 7-8 वर्ष के बच्चों को भेजा जाता था, जहां पर वे लोग गणित,वैदिक शास्त्र,ज्योतिष शास्त्र,खगोल शास्त्र,अर्थशास्त्र जैसे विषयों का ज्ञान प्राप्त करते थे.शिक्षा पूर्ण होने पर ही वह लोग वापिस आते थे.
 प्राचीन भारत में "नालंदा "जैसा महान विश्वविद्यालय भी था. "नालंदा विश्वविद्यालय" ज्ञान और समय के हिसाब से, पूरे विश्व से काफी आगे था. यहां पूरे विश्व से अलग-अलग देशों के लोग,ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे. यहां से ज्ञान प्राप्त करके वह अपने देशों में उस ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते थे.
 यहां पर विज्ञान,दर्शनशास्त्र,अर्थशास्त्र, गणित,कला,मनोविज्ञान, चिकित्सा विज्ञान,जैसे उन्नत विषय पढ़ाये जाते थे.
 "नालंदा विश्वविद्यालय" की स्थापना, गुप्त वंश के राजा, "कुमार गुप्त प्रथम" ने की थी.
 प्राचीन भारत काफ़ी धनाध्य् था. भारतवर्ष में हीरे,मोती,सोने,चांदी,नगीनों, जवाहरातों,रत्नों का बड़ा भंडार था. हमारे राजा महाराजाओं के पास अपार धन संपदा थी, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं था. हमारी भूमि काफी उपजाऊ थी, इस पर विभिन्न प्रकार के अनाजों,फल-सब्जियों की,पैदावार बहुत अधिक मात्रा में होती थी. हमारे यहां दूध की नदियां बहती थी, भारतवर्ष को तब "सोने की चिड़िया "कहा जाता था. हम विश्व के अन्य देशों से व्यापार करते थे, यह व्यापार सभी रूपों में था,जिसे भारत को बहुत फायदा पहुंचता था.
 यही उन्नता और समृद्धिता भारत के लिए एक नई मुसीबत को लेकर आई. "सोने की चिड़िया "भारत विश्व के अनेक देशों की, आंखों में खटकने लगा था. इसी कारण विदेशी आक्रांताओं (मुगलों, तुर्कीओ )और बाद में अंग्रेजों ने भारतवर्ष को गुलाम बना कर इस,सोने की चिड़िया को कंगाल कर दिया. यहां से लूट-लूट कर धन, दौलत और अकूत संपत्तियों को यह अपने देश ले जाते रहे. पानी के जहाज़ो में भर भर कर यह लुटेरे, सारी संपत्तियों को अपने देश ले जाते थे.भारतवर्ष ने गुलामी की एक लंबी और कठोर अवधि को झेला है. गुलामी के लिए हमारे यहां के कुछ गद्दार,लालची,और विकृत मानसिकता के लोग भी थे. अपने लालच और स्वार्थसिद्धि के लिए ये लोग, किसी भी स्तर पर गिर सकते थे. ऐसे लोग की वजह से भारतवर्ष कितने सालों तक गुलाम रहा.
 परंतु बाद में अलग-अलग कालखंडो में हमारे महान, वीर देशवासियों, स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतवर्ष को गुलामी से आजाद करवाया. आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. अन्तःभारत गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ.
 आज भारत एक अच्छी स्थिति में है. भारत में लोकतंत्र आज भी यथाशक्ति कायम है. आज भारत हर क्षेत्र( रक्षा,विज्ञान, प्रौद्योगिकी उद्योग, व्यापार इत्यादि ) मे आगे बढ़ रहा है. भारत की अर्थव्यवस्था भी तीसरे नंबर पर है, और आगामी 5 सालों में इसमें और भी सुधार हो सकता है. यह सब तब हुआ है जब पूरे विश्व ने कोरोना जैसी महामारी का दंश झेला था. कोरोना काल के बाद से विश्व के बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. बाहर के देशों में विकास दर ठप्प पड़ा है. परंतु भारत की स्थिति इन देशों से बेहतर है. 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प तत्कालीन प्रधानमंत्री जी द्वारा लिया गया है. एक महान शासक ही महान राष्ट्र की नींव रखता है. आने वाला समय भारतवर्ष का है. दोबारा विश्व गुरु बनने की राह पर भारत आगे निकल चुका है.
"जय हिन्द, जय-भारत ".

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लेखक और पाठक

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